सच्ची दोस्ती - लेखनी प्रतियोगिता -04-Mar-2022
काँटों भरे हैं पथ,
जिन पर चलना चाहूँ
आएं कितनी ही बाधाएँ
तुम से मिलना चाहूँ।
तुम थे मेरे सुख-दुख के साथी
मेरे हमदर्द, मेरे सहपाठी।
संग तेरे करती रहती मैं मनमानी
हँसकर झेलते तुम मेरी नादानी।
अटूट दोस्ती के बंधन में
एक-दूजे को साथ लिए
आगे बढ़ते जाते थे हम
बस दिल में प्यार लिए।
एक दिन लालच ने
तोड़ा तेरा-मेरा साथ
पाने को शोहरत तूने
थाम लिया किसी और का हाथ।
तड़पता रह गया दिल
तेरे लौटने की थी आस
एक बार बस देख लूँ तुझको
नयनों में थी प्यास।
था उम्मीदों का दामन छूटा
नादानी जाती रही
दोस्ती का रिश्ता जब टूटा
मायूसी आती गई।
मिल गए तुम फिर एक दिन
ज़िंदगी के किसी मोड़ पर अचानक
बिखरे हुए थे बाल
बुरा था तेरा हाल
थी तुझे किसी अपने की तलाश
देखकर तुझको ऐसा लगा
मानों सामने खड़ी हो कोई लाश।
तोड़ दोस्ती जिसके संग थे चले गए
सबसे ज़्यादा थे तुम उससे ठगे गए
हाल देख तेरा निकल आये आंसू
तेरे दर्द से थी मैं कितनी अनजानी
गले से तुझको लगा लिया
जैसे हो कोई प्रेम दीवानी
दोस्ती होती है कितनी अनमोल
उस दिन थी तूने कीमत पहचानी।
डॉ. अर्पिता अग्रवाल
नोएडा, उत्तरप्रदेश
Shrishti pandey
05-Mar-2022 11:18 AM
Very nice
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Abhinav ji
05-Mar-2022 08:53 AM
Nice
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Swati chourasia
05-Mar-2022 07:19 AM
Very beautiful 👌
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